
हवा के दोश पे किस गुलबदन की खुशबू है
गुमान होता है सारे चमन की खुशबू है
तेरा वजूद है मौसम बहार का जैसे
अदा में तेरी,तेरे बांकपन की खुशबू है
अजीब सहर है ऐ दोस्त तेरे आँचल में
बड़ी अनोखी तेरे पैरहन की खुशबू है
बला की शोख है सूरज की एक एक किरण
पयामे ज़िंदगी हर इक किरण की खुशबू है
गले मिली कभी उर्दू जहाँ पे हिंदी से
मेरे मिजाज़ में उस अंजुमन की खुशबू है
वतन से आया है ये ख़त 'रक़ीब' मेरे नाम
हर एक लफ्ज़ में गंगो-जमन की खुशबू है
अजीब सहर है ऐ दोस्त तेरे आँचल में
जवाब देंहटाएंबड़ी अनोखी तेरे पैरहन की खुशबू है
वाह...क्या लाजवाब ग़ज़ल कही है आपने..बेहतरीन..ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
नीरज
अच्छे ब्लाग के लिये और खुशबूदार शायरी के लिये बधाई
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएं♥
हवा के दोश पे किस गुलबदन की खुशबू है
गुमान होता है सारे चमन की खुशबू है
प्रियवर सतीश जी
सस्नेहाभिवादन !
आज आपका ब्लॉग अचानक पा'कर बेहद ख़ुशी हुई …
लेकिन यहां और ग़ज़लें लगाएं जनाब !
ठीक है, शायरी के ऐसे बेशक़ीमती ग़ौहर आसानी से नहीं लुटाए जाते …
हुज़ूर ! कविताकोश पर लगी ग़ज़लियात को हफ़्ते-दस दिन से एक एक करके यहां पोस्ट करते जाइए … ताकि हमारी तलब की भी कुछ लाज रह जाए …
:)
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार