शनिवार, 26 जून 2010

सूरज की एक एक किरण



हवा के दोश पे किस गुलबदन की खुशबू है
गुमान होता है सारे चमन की खुशबू है

तेरा वजूद है मौसम बहार का जैसे
अदा में तेरी,तेरे बांकपन की खुशबू है

अजीब सहर है ऐ दोस्त तेरे आँचल में
बड़ी अनोखी तेरे पैरहन की खुशबू है

बला की शोख है सूरज की एक एक किरण
पयामे ज़िंदगी हर इक किरण की खुशबू है

गले मिली कभी उर्दू जहाँ पे हिंदी से
मेरे मिजाज़ में उस अंजुमन की खुशबू है

वतन से आया है ये ख़त 'रक़ीब' मेरे नाम
हर एक लफ्ज़ में गंगो-जमन की खुशबू है